आजकल की दुनिया में अगर कोई नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है, तो वो है एलोन मस्क। ये वो शख्स हैं जिन्होंने स्पेसएक्स से आसमान छुआ और टेस्ला से सड़कों पर इलेक्ट्रिक क्रांति ला दी। अब ये मस्क साहब भारत की तरफ मुड़े हैं, और वो भी टेस्ला के साथ। कल ही, यानी 15 जुलाई 2025 को, टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में अपना पहला शोरूम खोला। सालों की अफवाहों, बातचीतों और इंतजार के बाद आखिरकार ये दिन आ ही गया। ये सिर्फ एक कंपनी का विस्तार नहीं है, बल्कि भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) मार्केट के लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट हो सकता है। लेकिन क्या ये इतना आसान होगा? या फिर रास्ते में ढेर सारी मुश्किलें इंतजार कर रही हैं? चलिए, इस लेख में हम मस्क की जिंदगी से लेकर टेस्ला की भारत यात्रा, मौजूदा हालात और आगे की राह पर गहराई से बात करते हैं।
एलोन मस्क की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए, लेकिन अमेरिका जाकर अपनी किस्मत चमकाई। पेपाल बेचकर जो पैसा मिला, उसी से स्पेसएक्स और टेस्ला की बुनियाद रखी। टेस्ला 2003 में शुरू हुई, और आज ये दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कार कंपनी है। इसका राज क्या है? वो है उनकी इलेक्ट्रिक कारों की कमाल की टेक्नोलॉजी – ऑटोपायलट ड्राइविंग, लंबी चलने वाली बैटरी और पर्यावरण को बचाने वाला डिजाइन। अमेरिका, चीन और यूरोप में टेस्ला ने धूम मचा रखी है, लाखों कारें बिक चुकी हैं। लेकिन अब वैश्विक सेल्स में थोड़ी गिरावट आई है, तो मस्क नए बाजारों की तलाश में हैं। और भारत जैसा बड़ा देश, जहां 1.4 अरब लोग हैं, उनके लिए सोने की खान जैसा लगता है।
भारत में टेस्ला की दिलचस्पी पुरानी है। पहली बार 2016 में मस्क ने ट्विटर (अब एक्स) पर कहा था कि भारत में टेस्ला लाना चाहते हैं। तब से नौ साल गुजर गए, और इस बीच कितनी ही बार बात बनी-बिगड़ी। मस्क बार-बार कहते रहे कि भारत में इंपोर्ट ड्यूटी बहुत ज्यादा है – 70% से 100% तक – जो उनकी लग्जरी ईवी को यहां बेचना मुश्किल बनाती है। 2021 में तो उन्होंने साफ कहा कि अगर ड्यूटी कम हुई, तो फैक्ट्री लगाएंगे। लेकिन वो हुआ नहीं। फिर भी, मस्क का भारत से प्यार कम नहीं हुआ। वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कई बार मिले। 2023 में मोदी की अमेरिका ट्रिप पर मस्क ने ऐलान किया कि टेस्ला जल्द भारत आएगी। उसी साल, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने बताया कि टेस्ला भारत से पार्ट्स की सोर्सिंग दोगुनी करने वाली है, जो 1.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। ये 'मेक इन इंडिया' से जुड़ा था।
असली कमाल हुआ 2024 में, जब सरकार ने नई ईवी पॉलिसी लाई। इसके तहत, अगर कोई कंपनी 500 मिलियन डॉलर इन्वेस्ट करके यहां फैक्ट्री लगाए, तो इंपोर्ट ड्यूटी 15% तक कम हो सकती है। ये पॉलिसी टेस्ला जैसी कंपनियों को लुभाने के लिए ही बनी थी। और अब, 15 जुलाई 2025 को, टेस्ला ने मुंबई में अपना पहला शोरूम खोल दिया। दिल्ली में भी जल्द खुलने वाला है। फिलहाल सिर्फ मॉडल वाई उपलब्ध है, जिसकी कीमत 61 लाख रुपये से शुरू होती है (करीब 70,000 डॉलर)। ये कीमत इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से इतनी ऊंची है, जो इसे ज्यादातर भारतीयों की जेब से बाहर रखती है। कारें जर्मनी की फैक्ट्री से इंपोर्ट हो रही हैं, और भारत-ईयू फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के बाद शायद आसानी हो। कंपनी ने अगस्त से डिलीवरी शुरू करने का कहा है, और बुकिंग्स चालू हैं। मस्क ने एक्स पर फोटोज शेयर कीं, जो रातोंरात वायरल हो गईं।
ये लॉन्च टेस्ला के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि कंपनी की ग्लोबल सेल्स थोड़ी डगमगा रही है। अमेरिका और चीन में कॉम्पिटिशन बढ़ा है – बीवाईडी, फोर्ड जैसी कंपनियां दबाव डाल रही हैं। भारत में ईवी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है; 2024 में 1.5 मिलियन यूनिट्स बिकीं, लेकिन ज्यादातर स्कूटर्स और सस्ती कारें। टाटा, महिंद्रा और बीवाईडी यहां पहले से काबिज हैं, लेकिन टेस्ला का ब्रांड और टेक अलग लेवल का है। मस्क मानते हैं कि भारत में लग्जरी ईवी सेगमेंट में स्कोप है, जहां मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू अच्छा बिजनेस कर रही हैं।
मगर, मुश्किलें भी कम नहीं। सबसे बड़ी तो कीमत ही है। 61 लाख की कार! भारत में औसत कमाई कम है, मिडिल क्लास भी 20-30 लाख वाली कारें लेता है। टेस्ला को सक्सेस के लिए लोकल मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी पड़ेगी, जो प्राइस कट करेगी। मस्क ने फैक्ट्री की बात की है, लेकिन अभी कंफर्म नहीं। शायद वो ज्यादा छूट का इंतजार कर रहे हैं या ईयू ट्रेड डील का। इसके अलावा, चार्जिंग नेटवर्क की कमी है। टेस्ला के सुपरचार्जर्स को पूरे देश में फैलाना होगा, जो वक्त लगाएगा। बैटरी सप्लाई, एनवायरनमेंट रूल्स और पॉलिटिकल स्टेबिलिटी भी खेल बिगाड़ सकती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि मस्क सिर्फ रियायतें लेना चाहते हैं, बिना बड़ा इन्वेस्टमेंट किए।
फिर भी, फायदे ढेर सारे हैं। टेस्ला का आना ईवी को बूस्ट देगा। सरकार का टारगेट है 2030 तक 30% व्हीकल ईवी बनाने का, जो पॉल्यूशन कम करेगा। दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में हवा इतनी खराब है कि ईवी जरूरी हैं। लोकल कंपनियां भी अब ज्यादा इनोवेट करेंगी। अगर फैक्ट्री लगी, तो हजारों जॉब्स आएंगी। मस्क की दूसरी कंपनियां, जैसे स्टारलिंक, भी भारत में एंट्री ले रही हैं – हाल ही में अप्रूवल मिला, जो रूरल एरिया में इंटरनेट सुधार सकता है। ये सब मस्क की बड़ी प्लानिंग का हिस्सा लगता है।
आलोचक बोलते हैं कि टेस्ला सिर्फ अमीरों के लिए है, भारत को सस्ती ईवी चाहिए – जैसे ओला या एथर की स्कूटर्स। सही भी है, लेकिन मस्क का रेकॉर्ड देखो। चीन में शंघाई गिगाफैक्ट्री लगाकर उन्होंने गेम चेंज कर दिया। भारत में भी वैसा हो सकता है, अगर सरकार और टेस्ला हाथ मिलाएं।
आगे क्या? टेस्ला और मॉडल्स ला सकती है – मॉडल 3, साइबरट्रक। लोकल प्रोडक्शन से प्राइस 30-40 लाख तक गिर सकता है। मस्क रोबोटैक्सी और फुल सेल्फ-ड्राइविंग की बात करते हैं, जो भारत के ट्रैफिक में मजेदार होगा, लेकिन रेगुलेशंस बदलने पड़ेंगे। कुल मिलाकर, ये एक नई स्टोरी की शुरुआत है – उत्साह से भरी, लेकिन सावधानी वाली।
एलोन मस्क जैसे सपने देखने वाले की एंट्री से भारत का ऑटो वर्ल्ड बदल सकता है। ये सिर्फ कारों की नहीं, सस्टेनेबल फ्यूचर की बात है। क्या टेस्ला यहां लंबा चलेगी? वक्त बताएगा, लेकिन स्टार्ट तो धमाकेदार हुआ है।