YouTube में बड़ा बदलाव: 21 जुलाई 2025 से नए मॉनेटाइजेशन नियम लागू, क्या होगा असर?

नमस्ते दोस्तों! अगर आप YouTube पर कंटेंट क्रिएटर हैं या बनने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। YouTube ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है, जो 21 जुलाई 2025 से लागू होने वाला है। यह बदलाव मुख्य रूप से मॉनेटाइजेशन पॉलिसी से जुड़ा है, और इसका मकसद प्लेटफॉर्म पर ओरिजिनल और हाई-क्वालिटी कंटेंट को बढ़ावा देना है। कई क्रिएटर्स के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन कुछ के लिए चुनौती भी। आज हम इस बदलाव की पूरी डिटेल्स हिंदी में समझेंगे, ताकि आप तैयार रह सकें। चलिए, स्टेप बाय स्टेप जानते हैं क्या है यह 'BIG Change'।


YouTube में बड़ा बदलाव: 21 जुलाई 2025 से नए मॉनेटाइजेशन नियम लागू, क्या होगा असर?


YouTube का नया अपडेट क्या है?

YouTube ने अपनी पार्टनर प्रोग्राम (YPP) पॉलिसी में बदलाव किया है, जो 21 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा। पहले से ही नियम थे कि कंटेंट 'ओरिजिनल' और 'ऑथेंटिक' होना चाहिए, लेकिन अब कंपनी ने इसे और सख्त बना दिया है। मुख्य फोकस 'मास-प्रोड्यूस्ड' (बड़ी मात्रा में बनाए गए) और 'रिपीटेटिव' (दोहराव वाले) कंटेंट पर है। मतलब, अगर आपका वीडियो AI से जेनरेटेड है, किसी दूसरे का कॉपी किया हुआ है, या बिना कोई वैल्यू ऐड किए रीयूज किया गया है, तो वह मॉनेटाइजेशन के लिए योग्य नहीं माना जाएगा।

यह अपडेट आज के समय में बढ़ते AI टूल्स को ध्यान में रखकर किया गया है। कई क्रिएटर्स AI का इस्तेमाल करके जल्दी-जल्दी वीडियो बना रहे हैं, जैसे ऑटोमेटेड नैरेशन, स्टॉक क्लिप्स या रिएक्शन वीडियो जहां कोई खास कमेंट्री नहीं होती। YouTube का कहना है कि ऐसे कंटेंट से व्यूअर्स को वैल्यू नहीं मिलती, और प्लेटफॉर्म की क्वालिटी प्रभावित होती है। इसलिए, अब ऐसे चैनल्स को मॉनेटाइजेशन से बाहर किया जा सकता है, न सिर्फ सिंगल वीडियो बल्कि पूरे चैनल को।

कौन-कौन से कंटेंट प्रभावित होंगे?

इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर उन क्रिएटर्स पर पड़ेगा जो लो-एफर्ट कंटेंट पर निर्भर हैं। यहां कुछ उदाहरण हैं:

  1. AI-जेनरेटेड वीडियो: अगर आपका वीडियो पूरी तरह AI वॉइसओवर, ऑटोमेटेड स्क्रिप्ट या जेनरेटेड इमेजेस पर आधारित है, और इसमें आपकी पर्सनल टच नहीं है, तो यह 'इनऑथेंटिक' माना जाएगा। जैसे, AI से बने न्यूज समरी या फैक्ट वीडियो जहां कोई ह्यूमन एडिटिंग नहीं।
  2. रीयूज्ड या कॉपी कंटेंट: दूसरे वीडियो के क्लिप्स को बिना बदलाव के इस्तेमाल करना, जैसे टिकटॉक कंपाइलेशन या किसी और के वीडियो पर साइलेंट रिएक्शन। अगर आप रिएक्शन वीडियो बनाते हैं, तो अब आपको पैज करना पड़ेगा, अपनी ओपिनियन ऐड करनी होगी, या एडिटिंग से वैल्यू बढ़ानी होगी।
  3. रिपीटेटिव कंटेंट: एक ही टेम्प्लेट पर बार-बार वीडियो बनाना, जैसे हर दिन एक जैसी 'टॉप 10' लिस्ट बिना नई इनसाइट्स के। या मास-प्रोडक्शन जहां एक चैनल से दर्जनों वीडियो रोज अपलोड होते हैं बिना क्वालिटी चेक के।
  4. कंपाइलेशन और स्लाइडशो: स्टॉक फोटोज या क्लिप्स से बने वीडियो जहां कोई नैरेशन या स्टोरीटेलिंग नहीं।

अगर आपका चैनल इन कैटेगरी में आता है, तो 21 जुलाई से पहले अपने कंटेंट को रिव्यू करें। YouTube ने कहा है कि यह अपडेट 'इनऑथेंटिक' कंटेंट को बेहतर तरीके से आइडेंटिफाई करेगा, और पेनल्टी वीडियो-बाय-वीडियो नहीं बल्कि चैनल-लेवल पर हो सकती है।

क्रिएटर्स के लिए क्या नहीं बदलेगा?

सभी क्रिएटर्स को घबराने की जरूरत नहीं। YouTube ने क्लियर किया है कि यह कोई नई पॉलिसी नहीं, बल्कि पुरानी 'रिपीटिशस कंटेंट' गाइडलाइन का अपडेट है। जो बदलाव नहीं होंगे:

  • मिनिमम रिक्वायरमेंट्स: चैनल को मॉनेटाइज करने के लिए अभी भी 1,000 सब्सक्राइबर्स और 4,000 वॉच ऑवर्स (या 10 मिलियन शॉर्ट्स व्यूज) चाहिए।
  • रिएक्शन चैनल्स: वे बंद नहीं हो रहे, लेकिन आपको वैल्यू ऐड करनी होगी। जैसे, वीडियो को पॉज करके एनालिसिस दें, ह्यूमर ऐड करें या अपनी स्टोरी शेयर करें।
  • फेयर यूज: क्लिप्स का फेयर यूज अभी भी Allowed है, लेकिन ट्रांसफॉर्मेटिव होना चाहिए।

बड़े क्रिएटर्स जैसे MrBeast या लोकल इंडियन चैनल्स जो ओरिजिनल कंटेंट बनाते हैं, उन्हें कोई समस्या नहीं आएगी। बल्कि, यह उनके लिए अच्छा है क्योंकि कम्पटीशन घटेगा।

कैसे बचें इस बदलाव के असर से? टिप्स क्रिएटर्स के लिए

अगर आप YouTube पर लॉन्ग-टर्म रहना चाहते हैं, तो अब से ही ओरिजिनलिटी पर फोकस करें। यहां कुछ प्रैक्टिकल टिप्स:

  1. पर्सनल टच ऐड करें: हर वीडियो में अपनी वॉइस, फेस या ओपिनियन शामिल करें। AI टूल्स का यूज करें, लेकिन फाइनल प्रोडक्ट ह्यूमन-लाइक हो।
  2. क्वालिटी ओवर क्वांटिटी: रोज 10 वीडियो अपलोड करने की बजाय, हफ्ते में 2-3 हाई-क्वालिटी वीडियो बनाएं। रिसर्च करें, स्क्रिप्ट लिखें और एडिटिंग पर समय दें।
  3. व्यूअर वैल्यू चेक: पूछें खुद से - क्या यह वीडियो व्यूअर्स को कुछ नया सिखाता है, एंटरटेन करता है या इंस्पायर करता है? अगर हां, तो सेफ है।
  4. अपील प्रोसेस यूज करें: अगर कोई वीडियो फ्लैग होता है, तो अपील करें। YouTube ने कहा है कि ह्यूमन रिव्यू होगा।
  5. डाइवर्सिफाई: सिर्फ YouTube पर निर्भर न रहें। इंस्टाग्राम, टिकटॉक या अपना ब्लॉग शुरू करें।

ये टिप्स फॉलो करके आप न सिर्फ इस बदलाव से बचेंगे, बल्कि आपके चैनल की ग्रोथ भी बढ़ेगी। याद रखें, YouTube का अल्गोरिदम अब ओरिजिनल कंटेंट को ज्यादा प्रमोट करता है।

निष्कर्ष: यह बदलाव क्यों जरूरी है?

YouTube का यह कदम प्लेटफॉर्म को बेहतर बनाने के लिए है। पिछले कुछ सालों में AI और ऑटोमेशन से कंटेंट की बाढ़ आ गई है, जिससे असली क्रिएटर्स का नुकसान हो रहा था। अब, जो लोग मेहनत करते हैं, उनकी वैल्यू बढ़ेगी। अगर आप एक असली क्रिएटर हैं, तो यह आपके लिए ऑपर्च्युनिटी है। लेकिन अगर आप शॉर्टकट्स पर चल रहे हैं, तो अब समय है चेंज करने का।

इस बारे में आप क्या सोचते हैं? कमेंट्स में बताएं। अगर यह आर्टिकल हेल्पफुल लगा, तो शेयर करें। थैंक यू फॉर रीडिंग!

(नोट: यह आर्टिकल YouTube की ऑफिशियल गाइडलाइंस और रिसेंट अपडेट्स पर आधारित है। ज्यादा डिटेल्स के लिए YouTube हेल्प सेंटर चेक करें।)

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